रेडियोसक्रियता।

प्रकृति में पाए जाने वाले वो तत्व जो स्वतः विखंडित हो कर कुछ अदृष्य किरणे उत्सर्जित करते है, रेडियोसक्रिय तत्व कहलाते है, तथा यह घटना रेडिओसक्रियता कहलाती है। 
 सर्व प्रथम फ्रांसीसी  विद्वान हेनरी वेकरल ने रेडियोसक्रियता की खोज की थी। इसलिए प्रारंभ में इसे वेकरल किरणे कहा जाता था। 1903 में मैडम क्यूरी तथा उनके पति पियरे क्यूरी ने पिंचब्लेड से रेडियम नामक अत्यंत रेडियोसक्रिय तत्व की खोज की। आज 40 से ज्यादा प्राकृतिक रेडिओसमस्थानिक और अनेक रेडियोसक्रिय तत्व ज्ञात है।
 रेडियोसक्रियता 2 प्रकार की होती है। पहला प्राकृतिक तथा दूसरा कृत्रिम। 
प्राकृतिक रेडियोसक्रियता में स्वावतः विखंडन होता है जैसे यूरेनियम, रेडियम, थोरियम इत्यादि।
कृतिम रेडियोसक्रियता वह प्रक्रिया है जिसमे कोई तत्व कृत्रिम तरीके से किसी ज्ञात तत्व से  रेडियोसक्रिय समस्थानिक में प्रवर्तित होता है।  इस प्रक्रिया में उस पर तीव्र वेग वाले कणों यथा प्रोटोन, डियूटरोंन अल्फा कण का प्रहार किया जाता है।
 
रेडियोसक्रिय पदार्थो से निकलने वाले अदृश्य किरणों को रेडियोसक्रिय किरणे कहा जाता है। इसकी खोज रदरफोर्ड ने की थी। रदरफोर्ड ने इन्हें क्रमशः अल्फा, बीटा एवम गामा किरणे कहा।
अल्फा किरणों के गुण।
1-यह किरणे धन आवेशित होती है किसी विधुत क्षेत्र से गुजरने पर यह ऋण ध्रुव की ओर मुड़ जाती है।
2- यह किरणे हीलियम आयन के 2 धन आवेश होती है तथा इनकी मात्रा हायड्रोजन परमाणु की मात्रा की 4 गुणी होती है।
3-इनका वेग प्रकाश के वेग का 1/10 भाग होता है, तथा द्रव्यमान अधिक होने के कारण इनकी गतिज ऊर्जा अधिक होती है।
4-यह किरणे किसी गैस  से होकर प्रवाहित करने पर उसे आयनित कर देती है।
5-अधिक द्रव्यमान के कारण इनकी भेदन क्षमता बीटा एवम  गामा किरणों की अपेक्षा कम होती है।0.1mm मोटी एलुमिनियम की पत्तर इन्हें रोक सकती है।
6- यह किरणे फोटोग्राफिक प्लेट को प्रभावित करती है तथा जिंक सल्फाइड या बेरियम प्लेटिनोसायनाइड में स्फुरदीप्ति उत्पन्न करती है।
7-यह किरणे जीव कोशिकाओं को नष्ट कर देती है।

बीटा कणों के गुण।
1-यह किरणे ऋण आवेशित होती है एवम इनका द्रव्यमान हायड्रोजन के द्रव्यमान का 1/1840 होता है।
2- इनका वेग प्रकाश के वेग का 9/10 होता है। इनका द्रव्यमान अल्फा कणों से कम होता है फलतः इनकी गतिज ऊर्जा भी अल्फा कणों से कम होती है। 
गतिज ऊर्जा कम होने के कारण इनकी आयन क्षमता अधिक होती है।
3-इनकी भेदन क्षमता अल्फा कणों से 100 गुणी। अधिक होती है। इनको रोकने के लिए .0.01m मोटी एलुमिनियम की चादर की जरूरत होती है। 
4- इनकी गतिज ऊर्जा कम होने के कारण इन किरणों  में जिंक सल्फाइड या बेरियम प्लेटिनोसायनाइड जैसे लवणों में स्फुरदीप्त  उत्पन्न करने की क्षमता न के बरावर होती है।
5-इन किरणों में जीव कोशिका को नष्ट करने की क्षमता होती है।
 
गामा किरणों के गुण। 
1-यह किरणे कणों की नही बल्कि अतिलघु तरंगदैर्ध्य वाली विधुत चुम्बकीय तरंग होती है। यह किरणे विधुत उदासीन होती है।
2-इनकी मात्रा शून्य होती है फलतः गामा किरणे अदृश्य प्रकृति की होती है। इनका वेग प्रकाश के वेग के बराबर होता है।
3- गतिज ऊर्जा कम होने के कारण इन किरणों में गैसों को आयनित करने की क्षमता बहुत कम होती है।
4- इनका द्रव्यमान न के बराबर होता है। फलतः फोटोग्राफी प्लेट पर इनका प्रभाव न के बराबर होता है।
5-इन किरणों में जीव कोशिकाओं को नष्ट करने की  क्षमता होती है।

रेडियोसक्रिय विखंडन- रेडियोसक्रिय तत्वों के नाभिक से रेडियोसक्रिय किरणों का उत्सर्जन की प्रक्रिया रेडियोसक्रिय विखंडन कहलाती है।
रेडियोसक्रिय विखंडन के सिद्धांत- 
इस सिद्धांत का प्रतिपादन1913 में  फ़्रेंजनज, रदरफोर्ड , एवम सैंडी ने किआ था। इसके अनुसार,
1- रेडियोसक्रिय तत्वों के परमाणु अस्थाई होते है, जो स्वतः विखंडित हो कर नए  तत्वो में परिवर्तित हो जाते है।
2-अल्फा कण और वीटा कण  रेडियोसक्रिय तत्वो के परमाणु के नाभिक से उत्पन होते है।
3- अल्फा कण के निकलने से होने वाले  परिवर्तन को अल्फा परिवर्तन और वीटा कण के निकलने से होने वाले परिवर्तन को वीटा परिवर्तन कहते है।
4-किसी परमाणु के नाभिक से एक अल्फा कण के निकल  जाने से प्राप्त होने वाले परमाणु का द्रव्यमान मूल परमाणु के द्रव्यमान से 4 कम हो जाता है।
5-किसी परमाणु के नाभिक में से एक वीटा कण के निकल जाने से प्राप्त परमाणु संख्या में 1 कई विर्द्धि होती है, जबकि द्रव्यमान नही बदलता है।
रेडियोसक्रियता की इकाई क्यूरी होती है।

रेडियोसक्रियता समस्थानिकों की उपयोगिता।
1- रेडिओसमस्थानिक का उपयोग मृत पेड़ पौधों जानवरो तथा पत्थरो की आयु ज्ञात करने में किआ जाता है। इसे रेडिओआइसोटोप डेटिंग कहते है।
2-रेडिओसमस्थानिक का प्रयोग औषधियो  में ट्रेसर के रूप में किया जाता है। इस विधि द्वारा मानवशरीर में किसी प्रकार के ट्यूमर का पता लगाने में किया जाता है।
3 कम क्रियाशील रेडियोसक्रिय किरणों का उपयोग अनाज फल  सब्जियों, आदि के रोगाणुनाशक में किया जाता है।
4-रेडियोसक्रिय लोहा का उपयोग एनीमिया रोग ज्ञात  करने में किया जाता है।
5- रेडियोसक्रिय यूरेनियम का उपयोग पृथ्वी की आयु ज्ञात करने में किया जाता है।
6- रेडियोसक्रिय सोडियम का प्रयोग शरीर मे रक्त प्रवाह का वेग नापने और उसमे किसी समस्या का पता लगाने में किया जाता है।
7-जमीन के  अन्दर बिछाई जल,  गैस  या तेल पाइप लाइन में रिसाव या छिद्र का पता लगाने में भी रेडियोसक्रिय समस्थानिकों का प्रयोग होता है।
8- कोबाल्ट के समस्थानिकों का प्रयोग  कैंसर रोग में होता है।
9-रेडियोसक्रिय समस्थानिकों का प्रयोग पाचनतंत्र अध्ययन में किया जाता है।
10- रेडियोसक्रिय आयोडीन का उपयोग थायरॉइड  ग्रंथि में उत्पन्न रोग का पता लगाने में किया जाता है।
11- रेडियोसक्रिय फास्फोरस का प्रयोग अस्थिरोगो के इलाज में किया जाता है। 


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