सब अच्छा होता है।
बचपन मे एक कहानी सुनी थी।
एक राजा था, उसका एक मंत्री भी था। मंत्री गुणवान एवम धार्मिक आदमी था। मंत्री को भगवान पर पूरा भरोसा था। जिंदगी में घटने वाली सभी घटनाओं को वो भगवान की प्रसाद समझता था।
एक बार की बात है, राजा की उंगली थोड़ी सी कट गई तलवार से। मंत्री ने बोला श्री मन इसमें भी भगवान की कोई न कोई लीला होगी। यह सुनते ही राजा क्रोधित हो गया और मंत्री को कारावास में डाल दिया।
कुछ दिन बाद राजा शिकार पर जंगल गया। जंगल बहुत घना और रास्ते भी कठिन थे, राजा और उसका एक सेवक रास्ता भूल गए और अपने दल बल से अलग हो गए। राजा बहुत परेशान हो गया। उसे कुछ भी नही सूझ रहा था कि तभी जंगली लोगो का एक दल वहा आ गया। उनलोगों ने राजा और उसके सेवक को पकड़ लिया और अपने देवता पर बलि चढ़ाने के लिए ले गए। जब उनका जांच किया तो पता चला कि राजा की उंगली कटि है, अब अंग भंग आदमी की बलि नही दी जा सकती थी। फलतः राजा को छोड़ दिया गया और सेवक की बलि दे दी गई। राजा किसी प्रकार अपने घर पहुँचा और मंत्री को जेल से बाहर निकालने का आदेश दिया।
संक्षेप में कहा जा सकता है कि कर्म को छोड़ बहुत सी चीजें हमारे अधीन नही होती है। हमें सिर्फ अपने कर्म पर भरोसा रखना चाहिए , बाकी हान लाभ उपर वाले कि अधीन छोड़ देना चाहिए। इस से सत्कर्म की वृद्धि होती है और मन विकार, अहंकार, लोभ, हानि, निराशा, इत्यादि से मुक्त रहता है।
अलविदा सुशांत।