प्रथम गुरु।
गुरु पूर्णिमा। धरती पर गुरु अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले होते है। गुरु ही होते है जो हमे पशुत्व से मनुष्यता की ओर अग्रसारित करते है। यदि गुरु न होते तो हम भी पशुत्व में ही जी रहे होते। आज भी जिस किसी को जीवन मे गुरु न मिलते है, उनमे मनुष्यता का अभाव ही होता है। धरती पर इंसान के प्रथम गुरु माता पिता होते है।। ।। गुरुणामेव सर्वेंषा माता गुरुतरा स्मृता।। अर्थात, सब गुरु में माता सर्वश्रेष्ठ होती है। माता ही होती है जो हमे सर्वप्रथम बोलना सिखलाती है। माता ही होती है जो हमे सर्वप्रथम सांसारिक विषय बोध कराती है। माता हमारे लिए उस छतरी के समान होती है जो हम पर गिरने वाली किसी भी समस्या को अपने ऊपर ले कर हमें सुरक्षित रखती है। पिता भी हमारे प्रथम सांसारिक गुरु होते है। वयक्ति के लिए पिता सूर्य की तरह होते है, जिसके उजाले में हम दुनिया को स्पष्टता से देख पाते है। पिता का तप हमे आत्मबल और मनोबल प्रदान करता है। जब हम नन्हे- नन्हे पैरो पर प्रथम बार चलते है तो पिता ही हमे प्रथम सहारा देते है। वो पिता ही होते है जिनके कंधो पर बैठ कर हम दुनिया